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Friday 8 July 2011

भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनताः

भ्रष्टाचार के विरूद्ध भारतीय जनता में असंतोष है। यह अच्छी बात है। भ्रष्टाचार का निपटारा होना आवश्यक है। भ्रष्टाचार मिट गया तो कम कीमत में जादा विकास के लिये काम कर सकते है। मगर भ्रष्टाचार मिटाने के लिये जो भी करना है वह संपूर्ण अभ्यास के बाद ही सफलतापूर्वक कर सकते है। एखाद दूसरा कदम अंधेरे में उठानेसे भ्रष्टाचार मिटेगा नही. थोडा बहुत कम हो सकता हैं। भ्रष्टाचार के कारण जान लेने के बाद सर्व दिशाओं को ध्यान में रखकर कदम उठाये तो संपूर्ण ना सही बड़ी मात्रा में भ्रष्टाचार नष्ट हो जायेगा. मेरी जानकारी और सोच के हिसाब से भ्रष्टाचार के कारण निम्ऩ सूची में दिये हुये है।
1.             लालच.
2.            काम्यकर्म.
3.            अनिर्बंध सत्ता
4.           मोटी रोकड रख़नेकी सुलभता.
5.            खरीददार और बेचनेवाले का रोकडपर विश्वास.
6.            जिंदगी में आय के थोडे साल और खर्चा पूरी जिंदगीभर.
7.           चुनाव खर्च.
8.            शिक्षा खर्च.
9.            परदेश में पैसा छिपाना.
10.         आयकर.
11.         जातिनिहाय आरक्षण.
12.         और भी कई हो सकते है।
उपर दिये हुये और अधिक कारण मद्देनज़र रख के उपाय ढुंढना आवश्यक हैं।
लालच और काम्यकर्म यह दुर्गुण हर व्यक्ती में होते है। दुनिया के हर धर्म में इनपर काबू पाने की शिक्षा दी है। मगर कोई भी यह शिक्षा मानने के लिये तैयार नही. इसपर शासन के तरफ़ से इलाज़ नामुमकीन है। सब धर्म के पुजारी इसपर इलाज़ करना ही नही चाहते. शासन कैसा होना चाहिये यह धर्म से सीख़ सकते है। हर एक धर्म ने देवता का निर्माण किया। देवता के प्रति श्रद्धा और डर हर व्यक्ति के मन में पैदा किया। याने न्यायाधिश और पुलिस हर व्यक्ति के मन में बिठा दिया। ऐशी स्थिती में कोई व्यक्ति गलत व्यवहार कर ही नही सकता। यह बात अलग है कि पुजारियों ने इसका इस्तेमाल स्वयं के लाभ के लिये करना चालू किया और धर्म की ताकद शून्य कर दी। पुराने ज़माने के राजाओं को देखिये। जैसे अयोध्या के राजा राम। प्रजा के मन मेें राजा के प्रति श्रद्धा, प्रेम ओर डर भी था। हर एक व्यक्ति जानता था राजा जो भी कुछ करेगा वह प्रजा के हित में ही होगा। आज के राज्यकर्ता यह भूल गये है। वह जो भी कुछ करते है वह स्वयं के हित में करते है। जो राजा करता है वही प्रजा करती है। भ्रष्टाचार मिटाने के लिये यह महत्त्वपूर्ण मुद्दा है। राजा बनने के लिये चुनाव लडना पडता है। वर्तमान प्रणाली में चुनाव खर्चा बहुत होता है। इस लिये अच्छे आदमी चुनाव लडने के लिये नाखूष है। चुनावखर्च भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा काण है। कुछ लोग अपने कर्तृत्वकाल में कुछ साल ही कमा सकते है। बाकी जिंदगी जो कुछ कमाया उसीपर गुजारनी पडती है। ऐसे लोग कमाया हुआ धन सम्हालने के लिये भ्रष्टमार्ग अपनाते है। आर्थिक व्यवहार में 100, 500, 1000 जैसे बडी रकम चलन में है। इसकी वज़ह से भ्रष्टाचारी को आसानी से घूस देना या लेना संभव हो जाता है। भ्रष्ट व्यवहार आसानी से संपन्न हो जाते है। आर्थिक व्यवहार में रोकड को प्राधान्य दिया जाता है। चेक से व्यवहार जादा समय लगने की वज़हसे व्यवहार में कम से कम उस्तेमाल किया जाता है। बैंक में खाता खोलने के लिये कुछ रकम रखना अनिवार्य है। जिनकी महिने की कमाई 3000 जैसी कम हो वह बैंक में खाता नही खोल पाते। आयकर कमाईपर लिया जाता है। यह खर्चेपर लिया जाय तो कमाई छिपाने की कोशीश करने की संभावना कम है। वैसे भी हरएक को कमाने के लिये प्रोत्साहन देना चाहिये और खर्च के उपर निर्बंध रखने के लिये उत्साहित करना चाहिये। भ्रष्टाचार की कमाई देश में रखने में भ्रष्टाचारी व्यक्ती असुरक्षित महसूस करते है। उस लिये परदेशी बैंक में पैसा रखते है। आरक्षण की वज़ह से पुरा राष्ट्र अनगिनित हिस्सों में बाटा गया है। इस में से कुछ हिस्सों को खुष रखकर सत्ता मिल सकती है। वर्तमानकाल के राजा इसी का फ़ायदा ले कर सत्ता में आ कर देश को लुटते है। ऐसे लुटोंरो से बचना है तो यह सब ध्यान में रखकर कानून बनाया जाय तो ही जीत हासिल हो सकती है।

1 comment:

अमोल डोंगरे said...

जाति निहाय आरक्षण क ा फ़ायदा उठाने के लिये लोग ओबीसी बन ज़ाते है। मगर ज़ब शादी करनी होती है तो वही लोग ओबीसी में नही करते। आरक्षण के लिये कालमर्यादा निश्चित करनी चाहिये। वैसे शुरू में वह 10 साल थी। पिछले 60 सालसे वह हर 10 साल के बाद बढ़ाई जा रही है। ऐसा करना उचित नही। मेरे विचारसे आरक्षण का निकष अगर बदल दिया जाय तो दोनो जरुरते पूरी हो जायेंगी। आरक्षण का वियार करते समय व्यक्ति की जात देखने के बजाय उस के दादा, दादी, नाना, नानी इस में से किसी एक को भी आरक्षण का फ़ायदा मिलता हो तो उस व्यक्ति को देना चाहिये। दूसरा नियम यह होना चाहिये कि, शादी करनेवाले कि जात यदी अलग हो और उस में एक की जात को आरक्षण का फ़ायदा मिलता हो और दुसरे को नही मिलता हो तो संतान की पहचान सिर्फ भारतीय ऐसी होनी चाहिये। 100-200 साल के बाद सभी भारतीय होंगे और आरक्षण की ज़रुरत ही नही रहेगी। इधर भी पढ़िये।
http://janahitwadi.blogspot.in/2011/10/aarakshan-i-e-reservation.html

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